नोएडा में रविवार को आसमान छूती दो इमारतें मिट्टी में मिल गईं. सीरियल धमाके के साथ ही नोएडा के डबल टावर ध्वस्त कर दिए गए. देखते ही देखते दोनों टावर मलबा में तब्दील हो गए. ट्विन टावर पर देशभर की निगाहें थीं. यह देश में अब तक सबसे ऊंची बिल्डिंग थी, जिसे विस्फोट के जरिए गिराया गया. देश की मैं स्ट्रीम मीडिया ने बताया कि करप्शन के Twin Towers का अंत हो गया. लेकिन करप्शन से इतनी बड़ी टावर बनाने वाले का क्या हुआ ये नहीं बताया. शायद ये बताने में उनकी कोई कमजोरी रही होगी.
मीडिया वाले टावर गिराने के फायदे गिना रहे थे लेकिन मीडिया जिसे करप्शन का टावर बता रहा था वो करप्शन का टावर रातों-रात नहीं बनी और इसके पीछे किन लोगों का हाथ था साथ ही इससे कितना नुकसान हो सकता था और करप्शन का इतना बड़ा टावर देश में कैसे बनकर खड़ा हुआ ये नहीं बताया. उन लोगो का क्या होगा जो इस करप्शन में संलिप्त है. ऐसे ही कई सवाल देश में आम लोगों के मन में आया. लेकिन आम जनता भला करे भी तो क्या करे. जो दिखाया गया वही देखना पड़ा. चैनल भी बदलते तो क्या मिलता. सभी चैनल पर एक हाट लगी थी. फ़िलहाल नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर को विस्फोटक द्वारा गिराए जाने के बाद की तस्वीरें भी अब सामने आयी.
पिछले 9 सालों से कोर्ट में यह केस चल रहा था. यहां के लोगों ने बिल्डिंग को बनाए जाने में अनियमितता की शिकायत की थी. सालों तक चली कानूनी कार्रवाई के बाद अखिराकार रविवार को नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया. दोपहर में ठीक 2:30 बजे विस्फोट किया गया, जिसके बाद नौ सेंकेंड के भीतर 40 मंजिला इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं.
ट्विन टावर को बनाने में सुपरटेक ने 200 करोड़ रुपए खर्च किए थे और 800 करोड़ रुपए की आमदनी की उम्मीद थी. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में बिल्डर को दोषी पाया और फ्लैट खरीदारों के हक में फैसला दिया. ट्विन टावर के निर्माण में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसकी चर्चा देश-विदेश से लेकर सोशल मीडिया पर है. वहीं, अब ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण को लेकर मीम्स की बाढ़ आ गई है.