कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का आज 51वां दिन है. इस बीच किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच 15 जनवरी, शुक्रवार को एकबार फिर 10वीं राउंड बातचीत का दौर चला. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाये गये कमिटी के पास सरकार और किसानों के बीच ये पहली बैठक थी.
विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच 10वें दौर की मीटिंग करीब 4 घंटे चली. इसमें 3 मंत्री- कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल हुए. 51 दिनों से धरने पर बैठे किसानों को मानाने के लिए सरकार लगातार बातचीत से हल निकालने की कोशिश कर रही है.

कयास लगाये जा रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज की मीटिंग में कोई कोई हल निकलेगा लेकिन इस बार भी बैठक में कुछ खास नहीं दिखा. किसान संगठनों की और अब भी कृषि कानून को वापस लेने की मांग की जा रही है जबकि सरकार संशोधन का हवाला दे रही है.
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से कहा, आज की बैठक में कोई हल नहीं निकला हम 19 जनवरी को दोबारा बैठेंगे. सरकार चर्चा के साथ सामाधान की कोशिश कर रही है. किसान संगठनों से सोहार्दपूर्ण बातचीत रही है. हमें उम्मीद है कि किसान संगठन बातचीत से हल निकालेंगे. हमारी कोशिश है कि बातचीत से हल निकले और आंदोलन खत्म हो. सर्दी है और कोविड का भी संकट है, सरकार को इसकी चिंता है. इसलिए हम खुले मन और बड़प्पन से बात कर रहे हैं.
कृषि मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी के बयानों और कार्यों पर उनकी ही पार्टी हंसती है और उनका मजाक उड़ाती है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि 2019 में कांग्रेस के घोषणापत्र में कृषि सुधारों का लिखित वायदा किया गया था. याद नहीं तो घोषणापत्र पढ़ लें, उसमें इस बात का जिक्र है तो राहुल और सोनिया जी को सामने आकर स्वीकार करना चाहिए कि उस समय झूठ बोल रहे थे या आज झूठ बोल रहे हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को नए कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में गतिरोध को समाप्त करने के लिये चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन किसान संगठनों ने इस समिति को सरकार समर्थक बताया है.
इधर, बैठक ख़त्म होने के बाद किसान संगठन के बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों और एमएसपी गारंटी को निरस्त करने की हमारी मांग बनी हुई है. हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति के पास नहीं जाएंगे. हम केवल केंद्र सरकार से बात करेंगे.