तर्कवाद, स्वाभिमान और जातिप्रथा के घोर विरोधी जिन्हें कहा गया एशिया का सुकरात

तर्कवाद, आत्म सम्मान या स्वाभिमान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर विशेष जोर देकर जाति प्रथा का घोर विरोध करने वाले बीसवीं सदी के दक्षिण भारतीय दिग्गज नेता व दलित शोषित, गरीबों के मसीहा इरोड वेंकट नायकर रामासामी को कोई भुला नहीं सकता. जिन्हे संसार में पेरियार के नाम से भी जाना जाता है. तमिल में इसका अर्थ होता है – पवित्र आत्मा या सम्मानित व्यक्ति.

उन्हें एशिया का सुकरात भी कहा जाता है. उनके विचारों से उन्हें क्रांतिकारी और तर्कवादी माना जाता था. वह एक धार्मिक हिंदू परिवार में पैदा हुए, लेकिन जातिप्रथा और ब्राह्मणवाद के घनघोर विरोधी थे. इन्होंने जस्टिस पार्टी का गठन किया जिसका सिद्धान्त जातिवादी व गैर बराबरी, छुवाछुत का घोर विरोध करना था. जो दलित समाज के उत्थान का एकमात्र विकल्प था.

तस्वीर साभार – सोशल मीडिया

पेरियार के नाम से विख्यात, ई. वी. रामास्वामी का तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्यों पर असर इतना गहरा है कि कम्युनिस्ट से लेकर दलित आंदोलन विचारधारा, तमिल राष्ट्रभक्त से तर्कवादियों और नारीवाद की ओर झुकाव वाले सभी उनका सम्मान करते हैं, उनका हवाला देते हैं और उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं.

इरोड वेंकट रामास्वामी नायकर या पेरियार का जन्म 17 सितम्बर 1879 में पश्चिमी तमिलनाडु के इरोड में एक सम्पन्न, परम्परावादी हिन्दू धर्म की बलीजा जाति में हुआ था. पिता वेंकतप्पा नायडु धनी व्यापारी थे. घर पर भजन तथा उपदेशों का सिलसिला चलता रहता था. हालांकि वो बचपन से ही उपदशों में कही बातों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते. पुराणों में कही बातों की परस्पर विरोधी तथा बाल विवाह, देवदासी प्रथा, विधवा पुनर्विवाह के विरुद्ध अवधारणा, स्त्रियों तथा दलितों के शोषण के पूर्ण विरोधी थे. उन्होंने हिन्दू वर्ण व्यवस्था का भी बहिष्कार किया.

1919 में उन्होंने अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत कट्टर गांधीवादी और कांग्रेसी के रूप में की. वो गांधी की नीतियों जैसे शराब विरोधी, खादी और छुआछूत मिटाने की ओर आकर्षित हुए. उन्होंने सक्रिय रूप से असहयोग आंदोलन में भाग लिया और गिरफ़्तार किए गए. महात्‍मा गांधी से प्रभावित होकर पेरियार ने कांग्रेस पार्टी ज्‍वॉइन तो की थी मगर पार्टी में ऊँची जातियों का वर्चस्‍व और भेदभाव देखा तो पार्छोटी छोड़कर वापस आ गए.

केरल में हुए 1924 के वाइकोम सत्याग्रह में अहम भूमिका निभाई. इसके लिए उन्होंने मद्रास राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था. केरल का वाइकोम सत्याग्रह दलितों को यहां स्थित एक प्रतिष्ठित मंदिर में प्रवेश दिलाने का आंदोलन था. इस आंदोलन के बाद पेरियार तमिलनाडु में नायक बन गए थे.

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