कर्नाटक के कोडगु ज़िले की रहने वाली रिहाना इरफ़ान 29 साल की एक ट्रांसजेंडर (Transgender) यानि थर्ड जेंडर हैं. मानसिक पीड़ा, भेदभाव, यातना, अधिकारों के उल्लंघन और अपमान से एक वो इस कदर टूट गई है कि वह अब इस दुनिया में जीना नहीं चाहती है. उन्होंने इच्छा मृत्यु (Mercy Killing) के लिए डिप्टीकमिश्नर के पास अर्जी दाखिल की है. उन्होंने डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है.
भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय का भारत में और हिंदू पौराणिक कथाओं में एक लंबा इतिहास रहा है. लेकिन उन्हें मानसिक पीड़ा, भेदभाव, यातना, अधिकारों के उल्लंघन और अपमान से हर पल गुजरना पड़ता है. उनके प्रति लोगों की हेय दृष्टि और ओछी सोच आज भी बदली है. थर्ड जेंडर होने के कारण कई लोग उसे किराए पर मकान या कमरा देने से इनकार कर देते हैं. उसे दिन रात अपमान का सामना करना पड़ता है और मज़बूरी में भीख मांगकर अपनी आजीविका चलाती है.

रिहाना भी उनमें से ही एक हैं, वो एक किन्नर के जब भी किराये पर घर खोजने जाती है तो लोग कहते हैं कि लोग क्या बोलेगा “हिजड़ा लोगों को घर नहीं दे सकते, लड़की या लड़के को घर दे सकते हैं. लेकिन ट्रांसवुमन को घर नहीं देते हैं.
रिहाना इरफ़ान बीबीसी को बताती हैं कि “मैं केरल से हूँ लेकिन पिछले पांच सालों से यहाँ रह रही हूँ. मैं ट्रांसवुमन हूँ और मेरे पास घर नहीं है. इसलिए मैंने डीसी के पास घर के लिए ५-६ बार आवेदन किया. यहाँ किराये का घर भी मिल रहा है. कैसा भी घर शेल्टर होम भी मिल जाये इसलिए मैंने आवेदन किया था. लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया. इसलिये मैंने दो दिन पहले इच्छा मृत्यु के आवेदन किया. लेकिन डीसी ने कहा कि वो आवेदन मंजूर नहीं कर सकते.”
रिहाना बताती हैं कि “मुझे पिछले दो साल से हर तीन या चार महीने में 5-6 घर शिफ्ट करने पड़े हैं. मैं बहुत दुखी हूँ. एक माकन मालिक के पास मैं रोई तो उन्होंने अपना पुराना घर मुझे दिया. लेकिन एक महीने पहले ही इस घर की दिवार गिर गई. इसके बाद मैं लॉज में रहने लगी. जहाँ हर रोज 400 से 600 रूपये किराया देना होता है. मेरे पास कोई नोकरी भी नहीं है. जब हम दुकान-दुकान भीख मांगने के जाते हैं तो 5 रूपये, 10 रूपये मिलते हैं.”
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, रिहाना ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के साथ रह सकती है लेकिन वो अपने दम पर अलग रहना चाहती है और भीख मांगकर गुजारा नहीं करना चाहती है. उन्होंने रेस्टोरेंट, होटल, हॉस्पिटल और हॉस्टल सहित बहुत जगह नोकरी पाने की कोशिश की. लेकिन इन सभी जगहों पर उन्हें नोकरी देने से मना कर दिया गया. रिहाना अपना दर्द बीबीसी को बताते हुए कहती हैं, “मैं मंगलौर के एक हॉस्पिटल में काम मांगने गयी जहाँ मैं सीवी देने लगी तो हॉस्पिटल के सुपरवाइजर ने मेरे हाथ से सीवी तक नहीं लिया. उन्होंने कहा कि आप किन्नर हैं आपको यहाँ काम नहीं मिलेगा. आपको किसी भी दुकान पर 5 रूपये, 10 रूपये मिल जाएंगे, जाकर वही काम करिए.