बुखार और गले में दर्द की बीमारी से त्रस्त 20 दिनों में 4 बच्चों की अंधविश्वास ने ले ली जान

अंधविश्वास एक ऐसी समस्या जिसका समाधान सामने होते हुये भी कोसो दूर हैं. विश्वास टूट कर बिखरता हैं अंधविश्वास मजबूती से खड़ा होता हैं. खोखला हैं लेकिन मजबूती की जड़े लिये हुये जिसे समझते हुए भी कोई स्वीकारना नहीं चाहता.आज का समय जिस तरह से बुराइयों को अपने अंदर समाय हुए हैं. मनुष्य सगे से सगे रिश्ते पर भी विश्वास नहीं कर सकता लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे अंधविश्वास हैं जिसका शिकार आज हर एक तीसरा व्यक्ति हैं फिर चाहे वो पढ़ा लिखा हो या अनपढ़.

विश्व प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को भला नहीं जनता? वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उनकी एक किताब है “ऐसा भी सोचा जाता है” जिसमें वे लिखते हैं – “मेरे एक मित्र को पीलिया हो गया था. वे अस्पताल में भर्ती थे. प्रभावशाली आदमी थे. सब डॉक्टर लगे थे. एक दिन मैं देखने गया तो पाया कि वे पानी की थाली में हथेलियां रखे हैं, और एक पण्डित मंत्र पढ़ रहा है. कार्यक्रम खत्म होने पर मैंने कहा-आप तो दो-दो इलाज करवा रहे हैं. एक एलोपेथी को और दूसरा यह जो पता नहीं कौन-सी ‘पैथी’ है. उन्होंने कहा- दोनों ही कराना ठीक है. परम्परा से यह चला आ रहा है. एलोपेथी तो अभी की है. मैंने कहा-परम्परा इसलिए पड़ी कि तब कोई वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति थी नहीं. थी भी, तो लोग उससे डरते थे. विश्वास नहीं करते थे. पर अब पूरी वैज्ञानिक जांच के बाद आपका इलाज हो रहा है. मगर आप अवैज्ञानिक परम्परा का पालन भी करते जाते हैं. आपका विश्वास है किसमें? आप किस चिकित्सा से अच्छे होंगे?”

आज की कहानी में अंधविश्वास का जिक्र इसलिए है क्योंकि आये दिन आज भी लोग अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर काफी क्षति का सामना करते हैं. हाल ही में मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के आदिवासी ब्लॉक लंगोटी में बुखार और गले में दर्द की बीमारी से त्रस्त 20 दिनों में 4 बच्चों की अंधविश्वास ने जान ही ले ली. इन बच्चों की उम्र 7 से लेकर 9 साल के बीच है. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं से ज्यादा ओझाओं पर भरोसा है. वे उन्हीं से झाड़फूंक करा रहे हैं. मौतों की सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हुआ और गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर सर्वे कराया गया तो इसमें भी करीब 10 बच्चे को गले में दर्द और बुखार की शिकायत मिली.

मामले में खंडवा के सीएमएचओ डॉ. डी.एस. चौहान ने बताया कि, “खंडवा ज़िले के आदिवासी ब्लॉक लंगोटी में बुखार और गले की बीमारी से 4 बच्चों की मृत्यू हुई. ग्रामीण लोग डॉक्टर से इलाज़ की बजाए अंधविश्वास पर भरोसा कर रहे हैं. यहां अंधविश्वास की समस्या है लेकिन हमने लोगों को ऐसा ना करने को लिए बोला है. यहां के लोग स्थानीय डॉक्टर के पास इलाज़ कराने जा रहे हैं लेकिन यह डॉक्टर सही उपचार नहीं कर पा रहे. हमने उनको ऐसे मामलों में हमारी टीम को संपर्क करने के लिए कहा है.

अंधविश्वास हमारे आस पास समाज में कहाँ तक जड़ें जमाये हुए है, इस बात को स्टोरी मिरर पब्लिश लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा रचित ये कविता की ये पंक्तियाँ बयां करती है –

चाँद पर पहुँच चूका अब मानव,
अंधविश्वास पर कुछ को विश्वास ।
प्रगति कितनी विज्ञान ने कर ली,
फिर भी झाड़फूंक पर उनकी आस ।।

हम नित नव प्रतिमान गढ़ रहे,
अंतरिक्ष में भी हम उड़ रहे ।
कायम है फिर भी अंधविश्वास,
कुछ लोग उसी पर चल रहे ।।

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