गांधीजी की 151वीं जयंती : मन में था बैरिस्टर बनने का सपना और बन गए राष्ट्रपिता

“अहिंसा एक दर्शन है, एक सिद्धांत है और एक अनुभव है जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण करना सम्भव है.” ये बातें अहिंसा आंदोलन के दम पर देश को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी दिलाने वाले बापू ने कही थी, जो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं.

“व्यक्ति की पहचान उसके कपड़े से नहीं, उसके चरित्र से होती है.” – महात्मा गांधी

बापू और राष्ट्रपिता कहलाने वाले गांधीजी ने अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, धैर्य और क्षमा जैसे गुणों को अपनाया. उन्होंने दूसरों को भी ऐसी ही सीख दी, उनकी कही गयी बातें आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है. गांधीजी इस बात में विश्वास रखते थे कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते. उन्होंने विरोध करने के लिए सत्याग्रह का रास्ता अपनाया.

“आँख के बदले में आँख, पूरे विश्व को अँधा बना देगी.” – महात्मा गांधी

आज देश गांधीजी के 151वीं जयंती मना रहे हैं. गांधीजी ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई. आगे चलकर लोगों के बीच वह बापू के नाम से पुकारे जाने लगे. उन्होंने अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत के दम पर अंग्रेजों को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया, यही वजह है कि पूरा विश्व आज का दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है. महात्मा गांधी के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे.

“विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए, जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता हैं.” – महात्मा गांधी

देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले बापू यानी मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ. बापू के पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई, जो करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी और बापू अपने पिता के चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे. उनके पिता ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे.

“भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं.” – महात्मा गांधी

बापू कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने का सपना लिए लंदन गए. लेकिन जब गांधीजी बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त कर भारत आये तो देश की स्थिति ने उन्हें बहुत प्रभावित किया. जिसके बाद उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए देश के लोगों को एकजुट कर लंबी लड़ाई लड़ी. उनके प्रयासों के चलते ही आज भारत ब्रिटिश हुकूमत से आज़ाद है.

“व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है.” – महात्मा गांधी

महात्मा गांधी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख नेता कहे जाते थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे ब्रिटिश शासन भारत छोड़ने को मजबूर तक हो गए. अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए महात्मा गांधी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है.

देश की स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके प्रयासों, विचारों और उनके संघर्ष को देखकर रविन्द्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी और रविन्द्र नाथ टैगोर को गुरुदेव की उपाधि भी गांधीजी ने ही दी थी.

जिस दिन से एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चलने लगेगी, उस दिन से हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता हासिल कर ली है.” – महात्मा गांधी

आज महात्मा गांधी की 151वीं जयंती है और गांधी जयंती को भारत में तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक माना जाता है. देश की स्वतंत्रता के लिए गांधीजी के अतुलनीय योगदान के लिए गांधी जयंती को हर 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महात्मा गांधी के अनुयायी हैं, उन्होंने भारत के इतिहास में पहली बार लोगों से अनुरोध किया कि इस दिवस को भारतवासी सिर्फ छुट्टियों के दिवस के रूप में ही न मनाएं बल्कि “स्वच्छ भारत अभियान” कार्यक्रम में भाग लें और भारत को स्वच्छ बनाएं.

“पहले वह आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर आप पर हंसेंगे, फिर आपसे लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे.” – महात्मा गांधी

गांधी जी ने अपनी आत्मकथा “द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ” (The Story of my Experiments with Truth) में दर्शन और अपने जीवन के मार्ग का वर्णन किया है.

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