सोने की शुद्धता की गारंटी देने वाली हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking New Rules) अनिवार्य रूप से 15 जून से चरणबद्ध तरीके से लागू हो गई है. हालांकि, इसे देश भर में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है. आज से देश के 256 जिलों में इसे लागू किया जा रहा है. हॉलामार्किंग मूल्यवान धातु की शुद्धता का एक प्रमाणपत्र है. आज से पहले तक यह व्यवस्था स्वैच्छिक रखी गई थी.

बताते चलें कि नवंबर 2019 में सरकार ने स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों पर ‘हॉलमार्किंग’ 15 जनवरी, 2021 से अनिवार्य किए जाने की घोषणा की थी. हालांकि ज्वैलर्स की कोरोना महामारी के कारण समयसीमा बढ़ाए जाने की मांग के बाद इसे चार महीने आगे बढ़ा दिया गया था. फ़िलहाल सरकार गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्किंग (Gold jewellery hallmarking) नियम 15 जून से शुरू होने जा रही है.
इस पहल से सोने के आभूषण खरीदते समय लोगों को धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा और ग्राहकों को ज्वेलरी की शुद्धता की गारंटी मिलेगी. आज से ज्वैलर्स को सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट (Gold Karat) ने के आभूषण बेचने की अनुमति होगी. BIS अप्रैल 2000 से सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग योजना पर काम कर रहा है. वर्तमान समय में लगभग 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग की जा रही है.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बैठक के बाद ट्विटर पर लिखा, “भारत को विश्व स्तर पर एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्यता एक आवश्यक कदम है Hallmark4PureGold आभूषण व्यापार में पारदर्शिता भी लाएगा और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास बढ़ाएगा”
हॉलमार्किंग के नियमों के मुताबिक, सोने के गहनों पर चार पहचान होंगी. पहला- बीआईएस मार्क(BIS Mark), दूसरा- कैरेट व फाइननेस (Gold Fineness), तीसरा- हॉलमार्किंग सेंटर (Hallmarking Centre) का नंबर और चौथा- ज्वैलर्स आइंडेंटिफिकेशन नंबर. बीआईएस (BIS) मार्क या लोगो (BIS Lab) आपको बताएगा कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स से लाइसेंस प्राप्त लैब ने गहने की शुद्धता प्रमाणित हुई है या नहीं. साथ ही किस लैब से यह सर्टिफिकेशन हुआ है, इसकी भी जानकारी मिलेगी.
ज्ञात हो, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अप्रैल 2000 से ही सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग योजना चला रहा है. इस समय लगभग 40 फीसदी सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग की जा रही है. सोने पर अनिवार्य हॉलमार्किंग की व्यवस्था होने से लोग धोखाधड़ी से बचेंगे और उन्हें शुद्धता के लिहाज से वही चीज मिलेगी, जिसके लिये उन्होंने भुगतान किया है.
नए नियम की मानें तो सोना खरीदने और बेचने के लिए हॉलमार्किंग अब जरूरी होगा. वहीं हॉलमार्क वाले सोने को यदि आप बेचने जाएंगे तो सामने वाला आपसे कोई डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटेगा. नियम का पालन नहीं करने वाले पर एक लाख से लेकर ज्वेलरी के दाम के पांच गुना तक जुर्माना वसूला जा सकता है. इसपर पर सोने की शुद्धता की जांच के साथ शिकायत दर्ज करने की सुविधा भी ग्राहकों को उपलब्ध होगी.