विश्व का सबसे बड़ा संविधान को आखिर भारत में 26 नवंबर को ही संविधान दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है

भारत आज 71वां संविधान दिवस मना रहा है. देश में हर साल आज ही के दिन यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. 26 नवम्बर 1949 को भारत के संविधान को औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया था. जिसे 26 जनवरी 1950 को लागु किया गया. लेकिन भारत सरकार द्वारा पहली बार 2015 में “संविधान दिवस” (Constitution Day) मनाया गया.

संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे. जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अंबेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे.

भारत का संविधान

भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं. यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं. इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था. भारत का यह संविधान दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया. इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है. भारत के संविधान निर्माता के रूप में डॉ. भीमराव अम्बेडकर को जाना जाता है. इन्होंने ही भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया.

आजादी मिलने से पहले ही स्वतंत्रता सेनानियों के बीच संविधान निर्माण की बात होने लगी थी. आजादी के बाद एक संविधान सभा का गठन किया गया. संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे. डॉ राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे और डॉ भीमराव अंबेडकर कमिटी के चेयरमैन चुने गये थे. इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे.

भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर

29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने संविधान (Indian Constitution) का मसौदा तैयार करने के लिये डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया. 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा की तरफ से इसे स्वीकार किया और 24 जनवरी 1950 को 284 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर करके इसे अपनाया. इसके बाद 26 नवंबर 1950 को इसे लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया.

संविधान हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखा गया था इसमें कोई टाइपिंग या प्रिटिंग नहीं थी. संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी. रायजादा का खानदानी पेशा कैलिग्राफी का था. उन्होंने बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए संविधान को इटैलिक अक्षरों में लिखा था. इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों द्वारा सजाया गया.

भारतीय संविधान की खास बात ये है कि ये न तो कठोर है और न लचीला है यानी कि भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेद ऐसे भी हैं, जिन्हें संसद साधारण बहुमत से भी बदल सकती है. इसी वजह से भारतीय संविधान को लचीला और नरम संविधान कहा जाता है. वहीं कुछ अनुच्छेद ऐसे हैं जिनमें बदलाव करने के लिए संसद के 2/3 बहुमत और भारत के आधे प्रदेशों की सरकार की सहमति जरुरी होती है. सरकारों की सहमती से ही कुछ संशोधन किये जा सकते हैं.

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