19 साल बाद रणजीत सिंह हत्याकांड के डेरा प्रमुख समेत पांचों दोषियों को मिला उम्रकैद की सजा

डेरा सच्चा सौदा के डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह (तस्वीर साभार – सोशल मीडिया)

प्रसिद्द दार्शनिक जाॅन राल्स ने अपनी कृति ‘A Theory of Justice’ में यह माना है कि ‘न्याय सामाजिक संस्थाओं का प्रथम एवं प्रधान सद्गुण है अर्थात सभी सामाजिक संस्थाएँ न्याय के आधार पर ही अपनी औचित्यपूर्णता को सिद्ध कर सकती हैं.’ भारत में भी न्यायिक व्यवस्था का अपना अलग महत्त्व है. विकास संबंधी मुद्दों पर लिखने वाली वरिष्ठ स्तंभकार पत्रलेखा चटर्जी ने कहा है कि अन्याय है देर से मिला न्याय. उनका कहना है-

इस बात से हर कोई सहमत है कि कानून के शासन और न्याय तक सबकी समान पहुंच बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि अदालतों में चल रहे मामलों का समय से निपटारा हो. यह व्यक्ति का मौलिक अधिकार भी है.

उनकी ये बाते इसलिए आज आपको याद दिला रहे हैं क्योंकि आज 19 साल बाद अदालत ने बहुचर्चित हत्याकांड के आरोपियों को सजा सुनाई गयी.

बहुचर्चित रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में 19 साल बाद 18 अक्टूबर 2021 दिन सोमवार को पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह समेत पांचों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. इस केस में राम रहीम के अलावा बाकी चार दोषियों के नाम जसबीर, अवतार, कृष्ण लाल और सबदिल है. अदालत ने राम रहीम पर 31 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. वहीं बाकी अन्य चार दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही कहा गया कि जुर्माने की आधी राशि पीड़ित परिवार को दी जाएगी.

रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे. उनकी साल 2002 में हत्या कर दी गयी थी. रणजीत सिंह को उस वक्त गोली मारी गयी थी. चरणजीत सिंह की बहन डेरा में साध्वी थी, राम रहीम को शक था कि उसी ने अपनी बहन से उसपर यौन शोषण का आरोप लगवाते हुए एक चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखवाई थी. 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की मैनेजमेंट कमेटी के मेंबर कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के पिता ने जनवरी 2003 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने बेटे की हत्या की जांच CBI से करवाने की मांग की, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया. CBI ने इस मामले में डेरा प्रमुख राम रहीम समेत 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. 2007 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए और 8 अक्टूबर 2021 को उन्हें दोषी करार दे दिया.

ज्ञात हो, ये वही बाबा राम रहीम जिसे पहले भी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में भी उम्रकैद की सजा हो चुकी है. इसके अलावा दो साध्वियों के यौन शोषण मामले में भी राम रहीम को 10-10 साल की सजा हो चुकी है. सीबीआई ने 31 जुलाई 2007 को जांच पूरी कर न्यायालय में चालान दाखिल कर दिया. सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया था. पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साधुओं को नपुसंक बनाने के मामले में भी राम रहीम को सजा हुई है.

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