तारीख पर तारीख अब अगली तारीख 15 को, किसानों ने पोस्टर में लिखा- मरेंगे या जीतेंगे, जब तक कानून वापसी नहीं, घर वापसी नहीं

देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन आज 44वें दिन में प्रवेश कर चुका है. लेकिन अब तक गतिरोध खत्म होता नहीं दिख रहा है. तारीख पर तारीख के बाद किसानों को मनाने के लिए विज्ञान भवन में किसान संगठन और केंद्र सरकार के बीच आज हुई 9वें दौर की वार्ता भी एक बार फिर बेनतीजा रही. बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि किसान नेताओं के साथ बातचीत में आज कोई हल नहीं निकला. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों से विकल्प मांगा था. लेकिन, किसान नेता विकल्प नहीं दे पाये.

पिछले 44 दिनों से जारी किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 9वें दौर की बातचीत आज फिर शुरू हुई. बैठक में 40 किसान नेताओं के भाग लिया और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश इस बैठक में शिरकत किये. बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- “मरेंगे या जीतेंगे”.

किसान नेताओं से मुलाकात के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला. सरकार की तरफ से कहा गया कि क़ानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला. सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान यूनियन अगर कानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं. किसान यूनियन और सरकार ने पुनः 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है. मुझे आशा है कि 15 जनवरी को कोई समाधान निकलेगा.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि तारीख पर तारीख चल रही है. बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज में बिल रद्द करने की मांग की। हम चाहते हैं बिल वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो. सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की बात नहीं मानी.

सरकार के साथ मुलाकात के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव ने कहा कि सरकार ने हमें कहा कि कोर्ट में चलो. हम ये नहीं कह रहे कि ये नए कृषि कानून गैर-कानूनी है. हम इसके खिलाफ हैं. इन्हें सरकार वापिस ले. हम कोर्ट में नहीं जाएंगे. हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.

इधर, सरकार के साथ मुलाकात के बाद किसान नेताओं ने मीडिया कहा कि, ’15 जनवरी को सरकार द्वारा फिर से बैठक बुलाई गई है. सरकार कानूनों में संशोधन की बात कर रही है, परन्तु हम कानून वापिस लेने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे.

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