
वैश्विक रिश्वत जोखिम रैंकिंग मामले भारत 44 अंकों के साथ साल 2021 में 5 पायदान नीचे फिसलकर 82वें स्थान पर पहुंच गया है. साल 2020 में 45 अंकों के साथ भारत की रैंकिंग 77वीं थी, जो इस साल खिसककर 82वें स्थान पर पहुंच गई है. रिश्वत के खिलाफ मानक स्थापित करने वाले संगठन ‘ट्रेस’ की सूची 194 देशों, क्षेत्रों और स्वायत्त एवं अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्रों में व्यापार रिश्वतखोरी जोखिम को दर्शाती है.

इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार पहले नंबर पर हैं डेनमार्क और अंतिम यानी 194 वें नंबर पर साउथ कोरिया हैं. वैश्विक रिश्वत जोखिम रैंकिंग लिस्ट में भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान 150वें स्थान पर हैं और पाकिस्तान को पीछे छोड़ते हुए चीन 135वें स्थान पर हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने इस रैंकिंग में पांच पायदान नीचे गिरते हुए भी अपने पड़ोसियों पाकिस्तान, चीन, नेपाल और बांग्लादेश से बेहतर प्रदर्शन किया है. हालाँकि इस बीच, भूटान ने भारत से भी बेहतर प्रदर्शन कर 62वीं रैंक हासिल की.
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बता दें, टीआरएसीई द्वारा जारी ये आंकड़े चार कारकों पर आधारित होते हैं, जिनमें सरकार के साथ व्यापारिक बातचीत, रिश्वत प्रतिरोधक और प्रवर्तन, सरकार और सिविल सेवा पारदर्शिता व मीडिया की भूमिका सहित नागरिक संगठन निगरानी क्षमता शामिल हैं. गौरतलब है कि वैश्विक रिश्वत जोखिम सूचकांक हर साल जारी किया जाता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, टीआरएसीई के 2021 रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स ने एक बयान में कहा कि पिछले 10 वर्षों में व्यापार रिश्वतखोरी जोखिम का माहौल उन देशों में काफी खराब हो गया है, जिन्होंने लोकतांत्रिक बैकस्लाइडिंग का भी अनुभव किया है. इनमें मिस्र, वेनेजुएला, तुर्की, पोलैंड और हंगरी जैसे देश शामिल हैं.