देश की राजधानी दिल्ली की तमाम सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच की दूरियां कम नहीं हो पा रही है. कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच कई दौर की मैराथन बैठक के बाद भी अब तक बात नहीं बनी. किसानों और सरकार के बीच 22 जनवरी को हुई 12वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा ही रही. आज की बातचीत इतनी घमासान हुई कि इस बैठक में अगली बैठक को लेकर कोई तारीख भी तय नहीं हो सकी. ऐसे में साफ है कि अब दोनों पक्ष अपने स्थान से पीछे हटने को राजी होते नहीं दिख रहे हैं.

बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, सरकार आपके सहयोग के लिए आभारी है. नए कानूनों में कोई कमी नहीं है. हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था. लेकिन आप फैसला नहीं कर सके. हमने जो प्रस्ताव दिया था वह आपके हित में था. लेकिन आप हमारी बात नहीं मान रहे हैं, आप हमारे प्रस्ताव पर फिर से विचार करें, अगर आप प्रस्ताव पर विचार करते हैं तो हमारी फिर वार्ता होगी.
आज की मैराथन बैठक करीब पांच घंटे चली लेकिन सरकार के प्रस्ताव पर किसान तैयार नहीं हैं, उन्होंने सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा दिया. बैठक के बाद किसानों ने मीडिया से कहा कि मीटिंग तो करीब पांच घंटे चली, लेकिन मंत्रियों से आमने-सामने बातचीत 30 मिनट भी नहीं हुई. मंत्रियों ने साढ़े तीन घंटे इंतजार कराया, फिर सरकारी प्रस्ताव मानने की बात कहकर मीटिंग खत्म कर दी गयी.
ख़बरों के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5-2 साल तक कृषि कानूनों को स्थगित की जा सकती है. उन्होंने कहा कि अगली बैठक तभी हो सकती है जब किसान यूनियनें सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार हों, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया. राकेश टिकैत ने कहा कि योजना के अनुसार, ट्रैक्टर रैली 26 जनवरी को होगी.
बता दें, किसान इन तीनों कानूनों को विनाशकारी बताते हुए इन्हें रद्द करने की अपनी मांग पर अडिग हैं, वहीं सरकार इसमें संशोधन की बात कर रही हैं. शुक्रवार को 11वीं दौर की बैठक की शुरुआत में किसान संगठनों ने सरकार से कहा कि वह कानून को डेढ़ साल तक स्थगित करके समिति के गठन के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं.