सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब न्यायालय ने कृषि कानूनों पर रोक लगाई, तो प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं किसान?

कृषि कानूनों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से कई सवाल किये हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसानों को कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखने के लिए फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाए जाने के बाद, विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब न्यायालय ने कृषि कानूनों पर रोक लगाई, तो किसान प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?

(तस्वीर साभार – टाइम्स मैगज़ीन)

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि उसने तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा रखी है, फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्‍यों हो रहे हैं. किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्‍होंने किसी सड़क को ब्‍लॉक नहीं कर रखा है. इसपर बेंच ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्‍या मतलब है? जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा‍ कि कानून पर रोक लगी है, सरकार ने आश्‍वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन किस बात का है?

सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों को जाम और नाकेबंदी करने के लिए राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव जैसे किसान नेताओं और कार्यकर्ताओं समेत 43 किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया है. लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन पर पार्टियों से जवाब मांगा गया है.

शीर्ष अदालत ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है और ये अधिनियम लागू नहीं हुए हैं. आप किस चीज़ के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं? अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने रविवार की लखीमपुर खीरी घटना का जिक्र किया, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ऐसा कुछ भी होने पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता.

वहीं, सॉलिसिटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय में कहा- एक बार जब कोई मामला सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के समक्ष होता है, तो कोई भी उस मुद्दे को लेकर सड़क पर नहीं उतर सकता. बता दें कि किसानों के प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इससे पहले भी कई बार किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनिश्चित काल के लिए इस तरह से सड़कों को रोक कर नहीं बैठा जा सकता है.

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