72वां गणतंत्र दिवस के मौके पर 26 जनवरी, मंगलवार के दिन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते दो महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने ट्रैक्टर रैली की योजना बनाई थी. शांतिपूर्ण आयोजन के वादों के साथ यह भी तय हुआ था कि प्रदर्शनकारी दिल्ली में प्रवेश तो करेंगे लेकिन सीमाओं के पास के इलाकों में ही रहेंगे. लेकिन जब मंगलवार को परेड निकली तब ऐसा नहीं हुआ. किसानों ने दिल्ली के कई स्थानों पर जमकर बवाल काटा और पुलिस से उनकी झड़प की ख़बरें आई. हालात को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. इस बीच एक प्रदर्शनकारी समूह पुलिस के लाठीचार्ज और आंसू गैस का सामना करते हुए आईटीओ होते हुए लाल किले तक पहुंच गया. प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया. 72वें गणतंत्र दिवस की ये दास्तां उग्र रूप और धर्म ध्वज इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो चुकी है.
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इस ऐतिहासिक स्मारक के गुंबद पर चढ़कर कुछ प्रदर्शनकारियों ने झंडा लगाया, साथ ही जिस जगह पर स्वतंत्रता दिवस पर झंडा लहराया जाता है, उस ध्वज स्तंभ पर भी एक झंडा लगा दिया गया. इस पर देश के कई मीडिया चैनलों ने रिपोर्टिंग की, आपने उनकी खबरबाजी भी देखी. सभी ने एक स्वर में इस घटना की निंदा है. करनी भी चाहिए हम भी करते हैं, तिरंगा ही भारत की एकता और अखंडता की प्रतिक है इसका अनादर नही होना चाहिए.
इसके बाद सोशल मीडिया समेत विभिन्न जगहों कई तरह से झूठ भी फेलाए गये. नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली गई थी. लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई. कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया, पुलिस के साथ झड़प हुई, वाहनों में तोड़-फोड़ और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया. प्रदर्शनकारियों ने निशान साहिब का ध्वज खाली स्तंभ पर लगा दिया जो सिखों का धार्मिक झंडा है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं.
इसी प्रदर्शन में अभिनेता दीप सिद्धू भी शामिल थे. अभिनेता से नेता बने भाजपा नेता सनी देओल के करीबी माने जाने वाले अभिनेता-कार्यकर्ता दीप सिद्धू को मंगलवार को हुए प्रदर्शन के दौरान लाल किले पर देखा गया था. किसानों ने उन पर लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने का आरोप लगाया है.
उधर, खुद दीप सिद्धू ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज को नहीं उतारा था बल्कि केवल सांकेतिक प्रदर्शन के रूप में धार्मिक ध्वज को फहराया था.
प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर दर्ज की गई है और तकरीबन 200 लोगों को हिरासत में लेने खबर है. इसके अलावा ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के एक दिन बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हिंसा की न्यायिक जांच के लिए शीर्ष अदालत के किसी रिटायर जज की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है.
याचिका में 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान और हिंसा के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ प्रासंगिक दंड प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है.
इधर, बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि लाल किले पर जाने की हमारी कोई योजना नहीं थी और न ही कोई हमारी कोई झंडा फहराने की योजना थी, तिरंगे का कोई अपमान नहीं कर सकता. कल दिल्ली में ट्रैक्टर रैली काफी सफलतापूर्वक हुई. अगर कोई घटना घटी है तो उसके लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार रहा है. कोई लाल किले पर पहुंच जाए और पुलिस की एक गोली भी न चले. यह किसान संगठन को बदनाम करने की साजिश थी. किसान आंदोलन जारी रहेगा.