स्‍वतंत्रता दिवस की वो खास बातें जिसे आज की पीढ़ी भूल रही है?

भारत में स्‍वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्‍त को देश भर में बहुत ही हर्ष उल्‍लास के साथ मनाया जाता है, और मनाएँ भी क्यों यह प्रत्‍येक भारतीय को एक नई और स्वाधीनता के शुरूआत की याद जो दिलाता है. इसी दिन 200 वर्ष से अधिक समय तक ईस्ट इंडिया कंपनी के चंगुल से छूट कर भारत में एक नए युग की शुरूआत हुई थी. 15 अगस्‍त 1947 वह भाग्‍यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश हुकूमत से स्‍वतंत्र घोषित किया गया और भारत के नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना. भारत के लिए स्‍वतंत्रता संघर्ष काफी लम्‍बे समय चला स्‍वतंत्रता के लिए अनगिनत स्‍वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन कुर्बान कर दिए तब जाकर भारत को स्वतंत्रता मिली. पूरा देश अब स्‍वतंत्रता के 77 वीं वर्षगांठ मना रहा है.

तस्वीर साभार -सोशल मीडिया

भारत के 17 वें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहरा कर इस हर्षोउल्लास को देश की जनता में साझा किया. इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को पुष्पांजलि अर्पित की. 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने देश को अपना संबोधन दिया.

सम्बोधन में प्रंधानमत्री ने कहा, “पूज्य बापू के नेतृत्व में असहयोग का आंदोलन, सत्याग्रह की मूवमेंट और भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे अनगिनत वीरों का बलिदान, उस पीढ़ी में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने देश की आजादी में अपना योगदान न दिया हो. मैं आज देश की आजादी की जंग में जिन-जिन ने योगदान दिया है, बलिदान दिए हैं, त्याग किया है, तपस्या की है, उन सबको आदरपूर्वक नमन करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं.”

प्रधानमंत्री का पूरा संबोधन आप इस लिंक पर सुनें

भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग एक-दूसरे के साथ सद्भाव में रहते हैं. हालांकि आजादी के बाद भी देश के कई हिस्सों में व्यक्ति के लिंग, जाति, पंथ, धर्म और आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव की ख़बरें आती रहती है. जिसकी कल्पना कभी भी स्‍वतंत्रता सेनानियों ने सपने में भी नहीं किया होगा जिन वीरों ने स्‍वतंत्रता के लिए खुद का कुर्बान हो जाने दिया. आज बुद्धिजीवी वर्ग इस बात पर विचार करते है और उनमें से कुछ का कहना है कि शायद आज की पीढ़ी ये भूल रही है कि देश में हमें प्रेम और भाईचारे के साथ रहना चाहिये.

विद्वानों का मत है, शिक्षित और प्रतिभाशाली व्यक्तियों से भरे राष्ट्र के विकास को कोई रोक नहीं सकता. लेकिन आज भी हमारा भारत कहीं न कहीं शिक्षा में पीछे रह गया. जिस गति से चलना था वो गति धीमी पड़ गयी. इसके पीछे अनेकों कारण हैं. भारत की प्रगति में मुख्य चुनौतियाँ और बाधाएँ निम्न हैं :

गरीबी: भारत में गरीबी और विषमता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। लाखों लोग अभी भी गरीबी और अशिक्षा की कमी के कारण संकट में हैं.

शिक्षा: भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी कई कठिनाइयाँ हैं। भविष्य के रचनकार कहे जाने वाले बच्चों की सही शिक्षा और स्कूलों की अधिकतम उपलब्धता, उचित मार्गदर्शन, स्कूली शिक्षा का व्यवसायीकरण.

स्वास्थ्य सेवाएँ: भारत में अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं तक बहुत सारे लोग पहुँच पाने में अनेकों समस्याओं का सामना करते हैं, उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाती है.

रोजगार: बेरोजगारी और असमान वेतन भारत में एक बड़ी समस्या है.

जातिवाद और सामाजिक असमानता: भारत में जातिवाद और सामाजिक असमानता भी प्रगति के पथ में एक बड़ी बाधा है.

पर्यावरण संरक्षण: जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और वनस्पति और जीव-जंतु जीवन की संरक्षण के मुद्दे भारत के सामने हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर: जल, विद्युत, सड़क और रेल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भारत के बहुत सारे चुनौती हैं.

तकनीकी और अनुसंधान: तकनीकी और अनुसंधान में हम जिस गति से आगे बढ़ना था उस गति से हम कहीं न कहीं भटक गए हैं.

बढ़ती जनसंख्या: बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसके साथ ही जनसंख्या के विकास के साथ-साथ भी विभिन्न सेवाओं की उपलब्धता और सामाजिक विकास का संरक्षण किया जाना चाहिए.

राजनीतिक और सामाजिक समरसता: भारत में विभिन्न समुदायों के बीच राजनीतिक और सामाजिक समरसता बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि समृद्धि और विकास का सही मार्ग चुना जा सके. देश के नेताओं द्वारा चुनाव के समय कई वादे किये जाते हैं लेकिन धरातल पर बहुत कम दीखता है. भ्रष्टाचार देश के रीढ़ की हड्डी को तोड़ने का काम करती है.

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