लोकसभा में विपक्ष पेगासस जासूसी मामले पर पीछे हटने को कतई तैयार नहीं और उसने सोमवार को भी इसे लेकर अपना विरोध जारी रखा और सदन में जमकर नारेबाजी व हंगामा किया. इसी हंगामे और शोर-शराबे के बीच चल रहे संसद के मॉनसून सत्र के दौरान 10 अगस्त, मंगलवार को लोकसभा में ऐसा बहस पहली बार दिखा. सरकार अपनी बात कहती रही और विपक्षी सांसद अपनी सीट पर बैठकर बहस सुनते रहे. कहीं कोई हंगामा नहीं, कही नारेबाजी नहीं. लोकसभा में संविधान 127वां संशोधन बिल 2021 पास हो गया.

अब राज्यों को ये हक मिल गया है कि वे ओबीसी की अपनी लिस्ट बनाएं. ये बहुत पुरानी मांग थी, जिस पर पक्ष-विपक्ष साथ थे. विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस भी इस बिल के समर्थन में रहे लेकिन लेकिन इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को हटाने की सरकार से मांग तक कर डाली.
दरअसल, ओबीसी आरक्षण से जुड़े संशोधन बिल को लोकसभा में चर्चा के बाद हरी झंडी मिलने पर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण बिल को मोदी सरकार शाहबानो की तर्ज पर लाई है. मुसलमानों को आरक्षण नहीं सिर्फ खजूर मिलेगा.
राज्यों कों OBC की लिस्टिंग करने का अधिकार देने वाला बिल लोकसभा में पास हो गया है. मंगलवार को लोकसभा में इस पर वोटिंग की गई. इसके पक्ष में 385 वोट पड़े. वहीं, विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सोमवार को ये बिल पेश किया था. इसका नाम संविधान (127वां संशोधन) विधेयक-2021 है. बिल पास होते ही लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भाजपा सरकार OBC समाज के हित में नहीं है, बल्कि सिर्फ उनके वोट के लिए है. आज ही के दिन 1950 में मुसलमान और ईसाई दलितों को SC की लिस्ट से महरूम कर दिया गया था. सरकार जल्द से जल्द मजहब के बुनियाद पर आरक्षण को खत्म करे.
कांग्रेस नेता और सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने “संविधान का 127वां संशोधन विधेयक, 2021” पर चर्चा की शुरुआत करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की गलती के कारण ही यह विधेयक लाना पड़ा है. वह उत्तर प्रदेश और कुछ राज्यों के चुनाव को ध्यान में रखकर ही इसे लाई है.