शराब की ऑनलाइन बिक्री का आदेश देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया इनकार, याचिका की खारिज

दुनियाँ के अन्य देशों की तरह ही भारत भी अब काफी प्रगति क्र चुकी है यहाँ लोग अब दुकानों और मॉल जाकर शॉपिंग करने से ज्यादा अब घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग की और अग्रसर हो रहे है. घर बैठे सिर्फ एक क्लीक कर शपिंग का मज़ा कुछ ओर है. देश में शराब की ऑनलाइन बिक्री से होम डिलीवरी की मांग भी हाईकोर्ट से की गई हालाँकि हाईकोर्ट ने इस मामले को राज्यों पर छोड़कर फ़िलहाल इसकी अनुमति देने से इंकार कर दिया.

प्रतीकात्मक तस्वीर

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शराब की ऑनलाइन बिक्री से होम डिलीवरी की अनुमति की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है और कहा है कि यह राज्य सरकार का नीतिगत मामला है, फिलहाल शराब की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति नहीं दी जा सकती.

एक तरफ, शराब सेहत के लिए हानिकारक है लोगों को ये बताने के लिए तरह-तरह के विज्ञापनों में सरकार करोड़ो रुपये पानी की तरह बहाती आई और अब भी बहा रही है. वहीँ दूसरी और खुद सरकार शराब की बिक्री कर एक रकम वसूलती है. भोथर बुद्धि वाले अब इस बात को समझ नहीं पाए है कि एक तरफ सरकार इतना जोर शराब बिक्री पर मोटे रकम वसूलने के लिए लगा रही है तो वहीँ दूसरे तरफ लोगों के सेहत का ख्याल रखते हुए शराब का सेवन न करने जैसे विज्ञापनों में इतना खर्च क्यों कर रहीं है.

अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिवक्ता गोपाल कृष्ण पांडेय की और से दायर याचिका में कहा गया था कि इससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी और सीनियर सिटिजन व ऐसे लोगों को सुविधा होगी जो दुकान पर जाकर शराब खरीदने में झिझकते हैं. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इतर कारणों से ऑनलाइन बिक्री की मांग की है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि कम खर्च में दुकान चलाई जा सकेगी. दुकान पर अनावश्यक भीड़ न होने से कानून व्यवस्था में भी सुधार होगा.

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