नए कृषि कानूनों के विरोध में सड़क से लेकर संसद तक महासंग्राम जारी है. इसी बीच बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपना संबोधन दिया. इस बीच कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया. प्रधानमंत्री मोदी के लगभग डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान विपक्ष ने तकरीबन 10 बार हंगामा किया. एक बार हंगामे के बाद मोदी तल्ख हो गए और बोले कि यह ज्यादा हो रहा है.
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा “विविधिता के बावजूद हम एक राष्ट्र हैं. विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब बातें राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कहा है.”

पीएम मोदी ने कहा कि इस कोरोना काल में तीन कृषि कानून भी लाए गए. ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है. इस बीच लोकसभा में विपक्षी दलों के हंगामे पर पीएम मोदी भड़क गए और बोले कि संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है.
भाषण के दौरान पीएम मोदी कहा, किसान आंदोलन पवित्र है, लेकिन आंदोलनजीवी इसे अपवित्र कर दिया है. किसानों के पवित्र आंदोलन को अपवित्र करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है. दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, ये किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है. तोड़फोड़ करने से आंदोलन कलंकित होता है. पंजाब में टेलिकॉम के टावरों को तोड़ा जा रहा है. आखिर इन टावरों को तोड़ने का किसान आंदोलन से क्या संबंध है? देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों में फर्क को समझने की जरूरत है.
पीएम मोदी ने कहा कि, विपक्ष के मुद्दे कितने बदल गए. जब हम विपक्ष में थे, तब देश के विकास के मुद्दे और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरते थे. आज आश्चर्य होता है कि विकास के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं करता. हम इंतजार में रहते हैं कि बोलें तो हम जवाब दें. इस दौरान पीएम मोदी बोले, “मैं हैरान हूं पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों ? दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया.”
यहां देखें पीएम मोदी का पूरा भाषण :
नरेंद्र मोदी ने सदन में कहा कि कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है. साथ ही उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियो पर भी कोई पाबंदी नहीं है. इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है. हमारे ये निर्णय सर्वजन हिताय- सर्वजन सुखाय की भावना से लिए गए हैं.
मोदी ने कहा कि लगातार किसानों से बातचीत होती रही. जब पंजाब में आंदोलन चल रहा था, तब भी हुई. बातचीत में किसानों की शंकाएं ढूंढ़ने का भी भरपूर प्रयास किया गया. कृषि मंत्री ने इस बारे में बताया भी है. हम मानते हैं कि इसमें अगर सचमुच कोई कमी है तो इसमें बदलाव करने में क्या जाता है. अगर कोई निर्णय है तो किसानों के लिए है. हमें इंतजार है कि वो कोई स्पेसिफिक चीज बताएं तो हमें कोई संकोच नहीं है.