स्टडी में खुलासा: सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर किसान आंदोलन को बदनाम करने की बुनी गई साजिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर (शुक्रवार) को उन तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया, जिनके विरोध में एक साल से लगातार दिल्ली सीमा पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. लोकतंत्र के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक चले इस आंदोलन को इतिहास के पन्नो पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा.

केंद्र के इस फैसले को किसानों की बड़ी जीत माना जा रहा है. हालांकि, जीत के लिए ये संघर्ष आसान नहीं था. कई बार किसान आंदोलन को सोशल मीडिया और फेक न्यूज के जरिए बदनाम करने की कोशिश की गई.

तस्वीर साभार – जनसत्ता

यूके स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था द्वारा सोशल मीडिया पर खुद को सिख धर्म का अनुयायी बताते हुए विभाजनकारी एजेंडा आगे बढ़ाने वाले फ़र्ज़ी सोशल मीडिया खातों के एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया गया है.

संस्था द्वारा की गई एक जांच में ऐसे कई फेक एकाउंट्स पाए गए जो सिख बनकर भारत में किसान आंदोलन को बदनाम करने और सिख हितों को चरमपंथी के रूप में दिखाने वाली सामग्री शेयर कर रहे थे. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऐसे करीब 80 सोशल मीडिया खातों की पहचान की गयी है जिन्हें अब फ़र्ज़ी होने की वजह से बंद कर दिया गया है.

दरअसल, बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस (CIR) – एनालिसिस ऑफ दि #रियल सिख इन्फ्लुएंस ऑपरेशन – शीर्षक से किए गए शोध ने नकली खातों के रूप एक मुख्य नेटवर्क की पहचान की, जो भारतीय राष्ट्रवाद के समर्थन करने वाले अन्य खातों से जुड़कर एक खास तरह की सोशल मीडिया सामग्री पोस्ट कर रहे थे. इसमें हिंदू राष्ट्रवाद एवं भारत सरकार के पक्ष को बढ़ावा देने के लिए फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम खातों का इस्तेमाल किया गया.

शोध के लेखक और सीआईआर के जांच निदेशक बेंजामिन स्ट्रिक के अनुसार, इस नेटवर्क का उद्देश्य “सिखों की आज़ादी, मानवाधिकार एवं उनके मूल्यों जैसे अहम विषयों पर नज़रिये को बदलना प्रतीत होता है.”

गैर लाभकारी संगठन सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस (CIR) की रिपोर्ट के मुताबिक कई फर्जी खाते एक ही तरह के नाम और फोटो के साथ अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर थे. जैसे इनके नाम, प्रोफाइल फोटो और कवर फोटो एक ही थे. इन अकाउंट्स के नाम, प्रोफाइल फोटो और कवर फोटो एक जैसे थे और इनसे एक जैसी पोस्ट पब्लिश की गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से नेटवर्क ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी. किसानों के विरोध और खालिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन दोनों ही इन फर्जी खातों के मुख्य नेटवर्क के दो मुख्य विषय रहे हैं.”

इस नेटवर्क ने लगभग एक साल से चल रहे किसान आंदोलन और ‘खालिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन’ को टारगेट किया था. रिपोर्ट के अनुसार अकाउंट्स ने सिख स्वतंत्रता की विचारधारा को चरमपंथ के रूप में लेबल करने की मांग की और दावा किया कि किसानों के विरोध प्रदर्शन को ‘खालिस्तानी आतंकवादियों’ ने कैप्चर कर लिया है.

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