सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुफ्त में जमीन लेने वाले निजी अस्पताल कोरोना का मुफ्त इलाज क्यों नहीं करते?

पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 1.5 लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले दर्ज किये जा चुके हैं. हर दिन कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं और नए मामलों के कारण सरकारी अस्पतालों पर बोझ बढ़ता जा रहा है. इसे देखते हुए निजी अस्पतालों से मदद लेने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन निजी अस्पतालों में इलाज बहुत महंगा होता है, जो हर किसी मरीज के बस की बात नहीं.

Supreme Court of India (Photo-TheHindu)

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से निजी अस्पतालों को लेकर जानकारी मांगी. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 27 मई को कहा कि जिन अस्पतालों को मुफ्त में या फिर बहुत कम रेट पर जमीन मिली है उन्हें कोरोना के मरीजों का मुफ्त इलाज करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसे प्राइवेट अस्पतालों की पहचान करें जहां कोरोना के मरीजों को मुफ्त या मामूली खर्चे पर इलाज मिल सके.

भास्कर में छपी एक रिपोर्ट मुताबिक प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना ट्रीटमेंट के खर्च पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. याचिका दायर करने वाले एडवोकेट सचिन जैन का दावा है कि निजी अस्पताल इस महामारी के समय लाखों रूपये वसूलकर कोरोना के मरीजों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं. सचिन ने याचिका में मांग की थी कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए मुफ्त या कम पैसों पर इलाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. इसी याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ऐसा कहा.

बेंच का नेतृत्व कर रहे मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, ‘प्राइवेट अस्पतालों के लिए सरकार मुफ्त में जमीन मुहैया कराती है या फिर बहुत मामूली चार्ज लेती है. ऐसे में इन अस्पतालों को इस महामारी के वक्त संक्रमितों का मुफ्त इलाज करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज को लेकर वाकई कोई दिक्कत है.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से केंद्र की तरफ से जवाब मांगा है. बेंच ने सॉलिसिटर जनरल को उन प्राइवेट अस्पतालों की लिस्ट बनाने को कहा है, जिन्हें चैरिटी ग्राउंड पर मुफ्त में जमीन अलॉट की गई थी. कोर्ट ने एक हफ्ते में इसकी रिपोर्ट सौंपने को कहा है. कोर्ट ने कहा, ऐसे अस्पतालों के बारे में पता लगाना चाहिए. इन अस्पतालों में चैरिटी ग्राउंड पर क्या काम होता है.

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