कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच की दूरियां कम नहीं हो पा रही है. सरकार की ओर से बुधवार को कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए टालने का प्रस्ताव किसानों के समक्ष रखा गया था लेकिन आंदोलनरत किसानों ने इसे ठुकरा दिया है. किसान तीनों कृषि कानूनों की वापसी की जिद्द पर अब भी अड़े हुए. वे कृषि कानूनों को रद्द करने से कम किसी बात के लिए तैयार नहीं हैं.

दिल्ली की तमाम सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन का आज 57वां दिन है. तमाम परेेशानियों के बाद भी किसान आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीें हैं और उनका कहना है कि जब तक बिल वापस नहीं होगा हम आंदोलन खत्म नहीं करेंगे.
टीकरी बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को हुई बैठक में ये फैसला लिया गया. बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह से रद्द हों. संयुक्त किसान मोर्चा की एक पूर्ण आम सभा में गुरुवार को सरकार द्वारा दिए प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. आंदोलन की लंबित मांगों में 3 कृषि कानून रद करने और एमएसपी पर कानून बनाने को दोहराया गया. कहा कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालेंगे.
इससे पहले बुधवार को सरकार के साथ किसानों की 11वें दौर की वार्ता भी विफल रही थी. घंटों चली बैठक में किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे, हालांकि सरकार की ओर से आंदोलन समाप्त करने के लिए बातचीत में नए कानून डेढ़ साल तक लागू न करने की पेशकश की थी, लेकिन किसान नेता उसपर राजी नहीं हुए थी. इसके बाद अगली वार्ता के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की गयी थी. अब देखना है कि 22 जनवरी को सरकार के साथ किसानों की होने वाली वार्ता का नतीजा निकलता है.