करप्शन का कोई आरोप नहीं, फिर भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पद से देना पड़ा इस्तीफा

उत्तराखंड में पिछले 3 दिनों से जारी सियासी उठापटक के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने शाम को लगभग चार बजे राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंपा. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए नए CM की नियुक्ति तक पद पर बने रहने को कहा है. हालांकि, इस्‍तीफा के कारण पूछे जाने पर त्रिवेंद्र ने कहा कि इसका कारण जानने के लिए मीडिया को दिल्‍ली जाना पड़ेगा. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर वह कौन सा कारण है, जिसे त्रिवेंद्र सिंह रावत बताना नहीं चाहते और हाई कमान मुंह खोलने को तैयार नहीं है.

त्रिवेंद्र सिंह रावत पर करप्शन का कोई आरोप नहीं था, लेकिन सियासी गलियारों से निकलकर जो जानकारी सामने आ रही है, उसके आधार पर यह माना जा रहा है कि मुख्‍यमंत्री की कार्यशैली ही उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनी. जिनकी वजह से भाजपा आलाकमान को उन्हें हटाने का फैसला करना पड़ा और लगभग 4 साल मुख्यमंत्री रहे रावत को कुर्सी गंवानी पड़ी है. कहा जा रहा है कि त्रिवेंद्र के कुछ फैसले से भाजपा आलाकमान भी खुश नहीं थे.

गणित तो यह भी बताती है कि उत्तराखंड में बीजेपी का कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है – साल 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बीजेपी ने 2 साल में 2 सीएम (नित्यानंद स्वामी और भगत सिंह कोशियारी) बनाए गए. 2002 में कांग्रेस जीती, 2007 में फिर से बीजेपी को सत्ता मिली और 2007 से 2012 के बीच उत्तराखंड में बीजेपी ने 2 सीएम (बी सी खंडूरी और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’) बदले. 2017 में फिर बीजेपी की सरकार बनी, त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम बने और इस बार फिर 4 साल बाद सीएम बदला जाएगा.

हालांकि इस बार मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत का दर्द भी सामने आया. जब उनसे अचानक पत्रकारों ने इस्तीफे की वजह पूछी, तो उन्होंने कहा, ‘इसका कारण जानने आपको दिल्ली जाना होगा.’ प्रेस कॉन्फ्रेंस में रावत ने कहा कि, “मैं लंबे समय से राजनीति में काम कर रहा हूं. भाजपा ने जीवन का यह स्वर्णिम अवसर मुझे दिया. मैंने छोटे से गांव में जन्म लिया, पिताजी पूर्व सैनिक थे. कभी कल्पना भी नहीं की थी कि पार्टी मुझे इतना बड़ा सम्मान देगी. भाजपा में ही यह संभव था.”

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी में विधायकों और कुछ मंत्रियों के बीच नाराजगी के चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. दरअसल, इन नेताओं की त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बने रहने पर नाराजगी जताई थी. ऐसे में उनके पद पर संकट मंडराने लगा था. विवाद सामने आने के बाद केंद्रीय नेतृत्व भी इस मसले पर मंथन कर रहा था, जिसके बाद रावत के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई थीं.

राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं. माना जा रहा है कि राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत में से किसी को राज्य के अगले मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इसके अलावा सतपाल महाराज का नाम भी रेस मे शामिल है. ख़बरों के मुताबिक बुधवार को सुबह 10 बजे पार्टी विधायक दल की बैठक में नए नेता का चुनाव होगा.

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